हजरत इब्राहिम ज़ौक ने यूं ही नहीं कहा था, ‘कौन जाए दिल्ली की गलियां छोड़कर’। इस शहर में एक गजब की कशिश है, यहां जो आता है उसे इससे प्यार हो ही जाता है। हजारों सालों से आर्टिस्ट, फोटोग्राफर, शायर, कवि, लेखक इस शहर को अपने नजरिए से देखने और दिखाने की कोशिश करते आए हैं लेकिन दिल वालों की दिल्ली के अनगिनत आयाम हैं। हर नजरिए से यह खूबसूरत ही दिखती है। इस सिलसिले में हम ताजा नाम ले सकते हैं युवा फिल्ममेकर सोहेब इलयास का।कभी देखा है दिल्ली को इस नजर से... सोहेब ने दिल्ली को आसमान से देखने की ठानी और उसके बाद जो सामने आया उसे देखकर लोगों को दिल्ली से एक बार फिर से प्यार होने लगा है। खासबात यह है कि सोहेब अपनी इन तस्वीरों और विडियोज के जरिए दिल्ली के कल्चर और नेचर को लेकर अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं, इसी लिए हर तस्वीर के पीछे एक मेसेज भी छुपा है। सोहेब कहते हैं कि दिल्ली की हवा इतनी साफ कभी नहीं थी, आसमान से दिल्ली को इतना साफ देखना एक ख्वाब सा लगता है। अब यह हमारे हाथ में है कि हम इसे यूं ही बनाए रखें या फिर से सब बर्बाद करने पर तुल जाएं।लैंडफिल तस्वीर भले ही खूबसूरत दिख रही हो लेकिन है ये कूड़े का पहाड़। मकसद है कि लोग इस बात को समझें कि हम क्या खरीद रहे हैं और क्यों। जितनी जरूरत हो उतनी चीजें खरीदीं जाएं।नजफगढ़ ड्रेन और यमुना दिल्ली के सबसे बड़े गंदे नाले (ड्रेन) के उस हिस्से की तस्वीर है जहां ये यमुना में मिलता है। इसके पीछे भी मकसद यही है कि अगर हम लोग आज भी चीजों को कंट्रोल कर लें और यमुना में गंदगी भेजना बंद कर दें तो यमुना का पुराना रूप लौट सकता है।सूने डीटीसी डिपो दिल्ली की लाइफलाइन सिर्फ मेट्रो ही नहीं बल्कि डीटीसी की बसें भी हैं। दिल्ली की सड़कें इनके बिना सूनी दिखाई दे रही हैं। इनके रुकने के बाद ही बता चल रहा है कि इनका दिल्ली वालों की रोजमर्रा की जिंदगी में ये बसें कितना रोल निभा रही थीं।
Source: Navbharat Times May 08, 2020 09:27 UTC