दक्षिण अफ्रीका में IVF तकनीक से पैदा हुए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब शावक - News Summed Up

दक्षिण अफ्रीका में IVF तकनीक से पैदा हुए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब शावक


दक्षिण अफ्रीका में IVF तकनीक से पैदा हुए दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब शावकनई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अपनी दहाड़ से जंगल गुंजा देने वाले पैंथेरा प्रजाति के जीवों पर लंबे समय से विलुप्ति का खतरा मंडरा रहा है। इसमें बाघ, शेर, तेंदुआ जैसे शिकारी जीव शामिल हैं। इनके संरक्षण को लेकर दुनियाभर के पर्यावरणविद और वैज्ञानिक प्रयासरत हैं। इसी क्रम में दक्षिण अफ्रीका की यूनिवर्सिटी ऑफ प्रिटोरिया के वैज्ञानिकों ने एक अभूतपूर्व कामयाबी हासिल की है। उन्होंने यहां के उकुटुला संरक्षण केंद्र में शेरनी पर आइवीएफ तकनीक का प्रयोग किया, जिसके बाद यहां दो टेस्ट ट्यूब शावक पैदा हुए। वैज्ञानिकों का मानना है विलुप्त होती इन प्रजातियों को बचाने में यह तकनीक मील का पत्थर साबित होगी।इन जानवरों से पैदा हुए टेस्ट ट्यूब बेबी1980 में अमेरिका स्थित पेंसिलवेनिया विश्वविद्यालय के पशु चिकित्सकों ने दुनिया का पहला गाय का टेस्ट ट्यूब बच्चा पैदा कराने में सफलता हासिल की।2015 अमेरिकी वैज्ञानिकों ने इस तकनीक का इस्तेमाल मादा श्वान पर किया, जिसने सात पिल्लों को जन्म दिया।2016 में दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकी भैंस ने इस तकनीक की मदद से टेस्ट ट्यूब बच्चे को जन्म दिया।ऐसे जन्मे शावकवैज्ञानिकों ने इन-विट्रो फर्टीलाइजेशन (आइवीएफ) तकनीक की मदद से एक शेर के स्पर्म को शेरनी के गर्भाशय में डाला। इसके साढ़े तीन महीने बाद उसने एक शेरनी और एक शेर को जन्म दिया। दोनों शावक पूरी तरह स्वस्थ हैं।कारगर है तकनीकहालांकि इस तकनीक का प्रयोग अफ्रीकी शेरनी पर किया गया है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि यह तकनीक बाघ, स्नो लेपर्ड (हिम तेंदुआ) और कई विलुप्त होती बड़ी बिल्लियों को बचाने में कारगर साबित हो सकती है।बढ़ता खतराजंगलों की कटाई कर वहां इंसान द्वारा बनाए जा रहे आवास और अन्य दबावों के नुकसान के कारण वन्यजीवन के लिए जबरदस्त खतरा पैदा हो गया है। यही कारण है कि बड़ी बिल्लियों के साथ ही कई प्रजातियां लुप्तप्राय के रूप में सूचीबद्ध हैं।भारत में शेरों की स्थितिगुजरात के गिर के जंगलों में एशियाई शेर पाए जाते हैं। 2015 में 22 हजार वर्ग किलोमीटर में हुई गिनती के आधार पर शेरों की संख्या 523 दर्ज की गई। इसमें 109 शेर, 201 शेरनी और 213 शावक थे। अगस्त 2017 में हुई एशियाई शेरों की गणना के मुताबिक अब यह आंकड़ा 650 हो गया है।Posted By: Sanjay Pokhriyal


Source: Dainik Jagran September 05, 2018 06:11 UTC



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