दीपू दास के साथ काम करने वाले चश्मदीद ने बताया कि एक छोटी बच्ची के पिता की हत्या न केवल हिंदू होने के कारण हुई, बल्कि उनकी मेहनत से ईर्ष्या के कारण भी हुई. हालांकि बाद में अधिकारियों ने कहा कि इस बात के कोई सबूत नहीं मिले कि दीपू दास ने ईशनिंदा की थी. वहीं दीपू के गांव वालों ने कहा कि दीपू दास की मौत इस बात की याद दिलाती है कि आज के अस्थिर बांग्लादेश में हिंदुओं को अपने अरमानों को कुचलना होगा, नहीं तो उन्हें अपनी जान गंवानी पड़ेगी. उन्होंने चिंता व्यक्त की कि दीपू दास की हत्या ने समुदाय में भय का गहरा घाव छोड़ दिया है. बता दें कि 29 साल के दीपू चंद्र दास को 18 दिसंबर को कथित झूठे ईशनिंदा आरोपों के बाद भीड़ ने बेरहमी से पीट-पीटकर मार डाला.
Source: NDTV December 28, 2025 09:58 UTC