बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपभास्कर एक्सप्लेनर: ब्लैक, वाइट के बाद अब यलो फंगस, आखिर कितने तरह के होते हैं फंगल इन्फेक्शन? कोरोना मरीजों को ही क्यों फंगल डिजीज का खतरा ज्यादा है? आइए जानते हैं...आखिर कितने तरह के फंगल इन्फेक्शन होते हैं? फंगल इन्फेक्शन कई तरह के होते हैं। इनमें से अधिकांश फंगल इन्फेक्शन पर्यावरण में मौजूद रहते हैं। इनसे ज्यादा खतरा भी नहीं होता। जैसे- फंगल नेल इन्फेक्शन, वजाइनल कैंडिडिआसिस, दाद, मुंह और गले में होने वाल कैंडिडा इन्फेक्शन सबसे आम फंगल इन्फेक्शन है। इसी तरह ट्रेमेला मेसेन्टेरिका या यलो फंगस भी एक आम जेली फंगस है। कई फंगल इन्फेक्शन कमजोर इम्युनिटी की वजह से होते हैं। इनमें से कुछ बहुत संक्रामक होते हैं तो कुछ बहुत जानलेवा। ब्लैक और वाइट फंगस भी कमजोर इम्युनिटी की वजह से होते हैं।आखिर कितने तरह की फंगल डिजीज हैं जो हमारे कमजोर इम्यून सिस्टम की वजह से हो सकते हैं? डॉक्टर्स का कहना है कि यलो फंगस से घबराने की कोई जरूरत नहीं है। इस तरह के फंगस पर्यावरण में पहले से ही मौजूद रहे हैं। इससे जान का खतरा भी नहीं होता है। उनके मुताबिक वाइट, यलो व अन्य तरह के फंगस का कोई खास नुकसान नहीं होता है। ये पहले भी होते आए हैं।क्या इंडस्ट्रियल ऑक्सीजन यूज करने से देश में फंगल इन्फेक्शन फैला?
Source: Dainik Bhaskar May 25, 2021 01:28 UTC