लोकसभा चुनाव 2019 न्यूज़: गुजरात के मंदिर में सदियों से हो रही है 'चौकीदार' की पूजा - devotees in gujarat worshiping chowkidar since long - News Summed Up

लोकसभा चुनाव 2019 न्यूज़: गुजरात के मंदिर में सदियों से हो रही है 'चौकीदार' की पूजा - devotees in gujarat worshiping chowkidar since long


इस बार लोकसभा चुनाव में चौकीदार सबसे ज्यादा चर्चा में है। देखते ही देखते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित केंद्र के सभी मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट में नाम के आगे चौकीदार लगा लिया है। हालांकि गुजरात के नर्मदा जिले में एक ऐसा 'चौकीदार' है जिसे सदियों से पूजा जा रहा है। दरअसल यहां चौकीदार को समर्पित देवदरवनिया चौकीदार मंदिर है।भरूच लोकसभा सीट में आने वाले देदियापाड़ा तालुक स्थित देव मोगरा गांव के निवासियों का मानना है कि देवदरवनिया चौकीदार सालों से उनके गांव की रक्षा कर रहे हैं। गांव के निवासी मानसिंह वसावा ने बताया, 'हम इन दिनों पीएम मोदी के मुंह से चौकीदार शब्द बार-बार सुन रहे हैं। लोग अपने नाम के आगे चौकीदार लगाकर काफी गर्व महसूस कर रहे हैं लेकिन हम एक चौकीदार की भगवान के रूप में लंबे समय से पूजा कर रहे हैं।'स्थानीय लोगों के अनुसार, देवी पंडोरी माता ने नाराज होकर घर छोड़ दिया था। राजा पंडादेव ने उनकी तलाश करनी शुरू की और अपना घोड़ा देव मोगरा गांव में रोका। मानसिंह ने बताया, 'वह जगह स्थानीय लोगों के लिए पूजनीय हो गई और बाद में वहां पंडोरी माता का मंदिर बनवाया गया। इस मंदिर से कुछ दूरी पर देवदरवनिया चौकीदार के लिए भी एक प्रार्थना स्थल बनाया गया।'गांव के निवासी कालू वसावा बताते हैं, 'ऐसा माना जाता है कि देवदरवनिया चौकीदार देवी और हमारे गांव की रक्षा करते हैं। जो भक्त पंडोरी माता की पूजा करने आते हैं, उन्हें पहले चौकीदार मंदिर के दर्शन करने होते हैं।' न सिर्फ गुजरात बल्कि महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्यप्रदेश से श्रद्धालु भी यहां आकर पंडोरी माता के दर्शन करते हैं।कालू बताते हैं, 'दिवाली और नवरात्रि के दौरान माता के मंदिर में भीड़ बढ़ जाती है। चौकीदार मंदिर में भी श्रद्धालु बराबर आते हैं।' दिलचस्प यह है कि गुजरात में वैसे तो शराब की बिक्री बैन है लेकिन देवदरवनिया चौकीदार को लोग देशी शराब प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं। मानसिंह ने कहा, 'यहां पर लोग टीवी के माध्यम से नेताओं के भाषण में चौकीदार के बारे में सुनते हैं लेकिन हमारे गांव में इसकी ज्यादा चर्चा नहीं है।'


Source: Navbharat Times April 09, 2019 08:08 UTC



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