सरकार पहले ही इस लड़ाकू विमान को विकसित करने के लिए 3,500 करोड़ रुपये आवंटित कर चुकी है, और अब उसे साफ-साफ जवाब की ज़रूरत है. प्रोजेक्ट से जुड़े इंजीनियरों तथा पायलटों को भरोसा है कि वे लैंडिंग सर्टिफिकेशन के लक्ष्य को हासिल कर लेंगे. विमान को उड़ा रहे टेस्ट पायलटों को लैंडिंग के दौरान उतरने से ऐन पहले विमानवाहक पोत से हटने वाली हवा के प्रभाव को खुद अनुभव करना होगा. अब अहम सवाल यह है - क्या तेजस-एन के विकास कार्यक्रम तथा पश्चिम से इस तरह के विमानों का खरीदा जाना, दोनों के लिए पर्याप्त फंड उपलब्ध होगा? तेजस-एन टीम के सदस्यों ने NDTV से कहा कि उनसे अक्सर पूछा जाता है, "आपको ऐसा कुछ फिर से बनाने की क्या ज़रूरत है, जो पहले ही बनाया जा चुका है...?"
Source: NDTV June 11, 2019 08:03 UTC