हरियाणा / मुस्लिम डूम जाति के लोगों ने तोड़ी 300 साल पुरानी परंपरा, हिंदू पद्धति से किया महिला बुजुर्ग का दाह संस्कार - News Summed Up

हरियाणा / मुस्लिम डूम जाति के लोगों ने तोड़ी 300 साल पुरानी परंपरा, हिंदू पद्धति से किया महिला बुजुर्ग का दाह संस्कार


कोरोना वायरस के संकट में परिवार ने मिलकर लिया फैसलाहिसार के बिठमड़ा गांव में रहते हैं 30 मुस्लिम डूम जाति के परिवारदैनिक भास्कर May 08, 2020, 05:35 PM ISTहिसार . हिसार के गांव बिठमड़ा में अनुसूचित जाति से संबंधित महिला के निधन होने पर उनके परिवार ने 300 वर्ष पुरानी परंपरा तोड़ते हुए पार्थिव शरीर का हिंदू पद्धति से दाह संस्कार किया। यह परिवार मुस्लिम डूम समुदाय से है। उनके संस्कार करने पर सोशल मीडिया पर धर्म परिवर्तन की अफवाहें फैल गई। जिसका परिवार ने खंडन किया।गांव के लोगों ने अंतिम संस्कार पद्धति का स्वागत कियाबिठमड़ा गांव के 30 परिवार मुस्लिम डूम बिरादरी के हैं। अब तक इस परिवार में मृतकों को कब्रिस्तान में दफनाया जाता था, लेकिन फूली देवी की मृत्यु के बाद मौजूदा हालात को देखते हुए परिवार ने अंतिम संस्कार पर सहमति बनाई। गांव के लोगों ने भी डूम परिवार द्वारा मृतक की अंतिम संस्कार की पद्धति में परिवर्तन करने का स्वागत किया है।मृतका के पुत्र प्रकाश ने कहा, 'गांव में 30 परिवार डूम बिरादरी के हैं। हमारे बुजुर्ग पुराने समय से मृतकों का दफनाने की प्रक्रिया से अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं। यह सही है कि औरंगजेब काल में हमारे पूर्वजों ने हिन्दू से मुस्लिम धर्म अपनाया था। लेकिन, आजादी के बाद से ही हमारा भाईचारा हिंदुओं से है, हमारे समाज में हिंदू पद्धति (गंधर्व विवाह) से बच्चों का विवाह होता है।'उन्होंने कहा, 'हम निकाह नहीं करते और न ही खतना करते हैं, सिर्फ अंतिम संस्कार की पद्धति दफनाने की थी, इसलिए ग्रामीण हमें मुस्लिम समझते थे। परंतु 18 अप्रैल को हमारे परिवार में जींद जिले के दनौदा गांव में एक मौत हुई थी। वहां भी अंतिम संस्कार अग्नि प्रक्रिया से किया गया था। हमारी मां को भी हमने कब्रिस्तान में दफनाने की बजाय स्वर्ग आश्रम में अग्नि प्रथा से संस्कार कर परंपरा बदलने का काम किया है।


Source: Dainik Bhaskar May 08, 2020 10:39 UTC



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