महाराष्ट्र के राजनीतिक हलकों में इन दिनों यह चर्चा जोरों से चल रही है कि क्या राज्य विधानसभा के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ होंगे। इसी सिलसिले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने गुरुवार को औरंगाबाद में भरी सभा में दावा किया कि 28 फरवरी को बजट पेश करने के बाद मुख्यमंत्री विधानसभा को भंग कर लोकसभा के साथ चुनाव कराने का ऐलान करने वाले हैं।चव्हाण के इस बयान के बाद मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुक्रवार को ऐसी किसी भी संभावना से इनकार किया। उन्होंने कहा कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना गठबंधन की सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी। बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल अक्टूबर तक है।चव्हाण के बयान पर हल्की चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि कांग्रेस नेताओं को भविष्य का अनुमान लगाने की आदत हो गई है क्योंकि पार्टी में उनके पास कोई काम नहीं रह गया है। पालघर जिले में एक कार्यक्रम के बाद फडणवीस ने कहा, ‘अशोक चव्हाण को विपक्ष की बेंचों पर फिर से बैठने की हड़बड़ी नहीं करनी चाहिए। हम चुनाव (क्रमश: उनके निर्धारित) समय पर कराने जा रहे हैं। हमारा (विधानसभा) चुनाव समय से पहले कराने का इरादा नहीं है।’- विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ होंगे, क्योंकि मोदी सरकार के पांच साल के काम-काज पर वोट मांगना आसान होगा।- पिछली बार दगा खा चुकी शिवसेना भी लोकसभा-विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का दबाव बना रही है।जानकारों को लग रहा है कि बीजेपी इसलिए अलग-अलग चुनाव कराएगी, ताकि आर्थिक संकट से जूझ रही विपक्षी पार्टियों के पास लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव के लिए फंड ही न बचे। उसकी यह रणनीति शिवसेना को भी कमजोर करेगी।
Source: Navbharat Times February 09, 2019 00:00 UTC