GDP growth rate: वित्त वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया था जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा: अरविंद सुब्रमण्यन - gdp growth overestimated during 2011-12 and 2016-17: arvind subramanian - News Summed Up

GDP growth rate: वित्त वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच बढ़ा-चढ़ाकर दिया गया था जीडीपी ग्रोथ का आंकड़ा: अरविंद सुब्रमण्यन - gdp growth overestimated during 2011-12 and 2016-17: arvind subramanian


मोदी सरकार के पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) अरविंद सुब्रमण्यन के इस दावे पर बड़ा बवाल खड़ा हो सकता है। उन्होंने अपने ताजा रिसर्च पेपर में दावा किया है कि वित्त वर्ष 2011-12 से 2016-17 के बीच भारत का जीडीपी ग्रोथ रेट शायद 2.5 प्रतिशत तक बढ़ाकर बताया गया था। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2011 और 2016 के दौरान जीडीपी में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि का दावा किया गया था, लेकिन पूरी संभावना है कि उस दौरान ग्रोथ रेट 3.5 से 5.5 प्रतिशत रहा हो।रिसर्च पेपर कहता है, 'देश के अंदर और बाहर कई प्रकार के साक्ष्य हैं जिनसे पता चलता है कि भारत का जीडीपी ग्रोथ 2011 के बाद हर साल करीब 2.5 प्रतिशत बढ़ाकर बताया गया था। 1% बढ़ाकर बताने की तो 95% की गारंटी है।' सुब्रमण्यन ने लिखा, 'इंडियन पॉलिसी की गाड़ी गड़बड़ और संभवतः टूटे हुए स्पीडोमीटर के साथ आगे बढ़ती रही थी।'केंद्रीय सांख्यकी कार्यालय (सीएसओ) का आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष 2018-19 की चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 5.8 प्रतिशत पर आ गिरा। इस कारण भारत को पछाड़कर चीन आगे निकल गया। इसकी वजह कृषि और विनिर्माण क्षेत्रों में आई कमजोरी रही।पूर्व सीईए ने कहा, 2011 से पहले देश के खाते में जो मैन्युफैक्चरिंग वैल्यु जोड़ी जाती थी, उसका औद्योगिक उत्पादन सूचकांक और विनिर्माण निर्यातों के विनिर्माण घटकों से सीधा-सीधा तालमेल होता था। लेकिन, उसके बाद एक प्रमुख प्रणालीगत बदलाव (मैथडलॉजिकल चेंज) से औपचारिक विनिर्माण क्षेत्र की माप प्रभावित हुई।हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ाकर बताने के पीछे कोई राजनीतिक मंशा नहीं थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि बदलावों को उन हालिया विवादों से बिल्कुल अलग रखना चाहिए जो जीडीपी की गणना की पद्धति बदलने से हाल के वर्षों के लिए जीडीपी ग्रोथ रेट बढ़ने से पैदा हुए थे।उन्होंने कहा, 'यह काम टेक्नोक्रेट्स ने किए थे जिनमें सबसे ज्यादा यूपीए-2 सरकार के अधीन हुए।' सुब्रमण्यन के मुताबिक, जीडीपी अनुमानों के आंकड़ों में वृद्धि और तकनीकी तौर पर बढ़ते भारत की तस्वीर पेश करने के अनुकूल प्रणालीगत बदलाव, दोनों उम्मीद के अनुरूप ही थे।उन्होंने सुझाव दिया कि जीडीपी के आकलन का स्वतंत्र टास्क फोर्स से पुनरीक्षण कराया जाना चाहिए जिसमें राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय एक्सपर्ट्स, सांख्यिकीविद, मैक्रो-इकॉनमिस्ट्स और पॉलिसी यूजर्स को शामिल किया जा सकता है।


Source: Navbharat Times June 11, 2019 08:37 UTC



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