नीतीश पर प्याज का वार वहां का है ये हाल मधुबनी में इसका असर दिखा। यहां की दस में से छह सीटों हररलाखी, बेनीपट्टी, खजौली, बाबूबरही, बिस्फी और लौकहा में तीसरे फेज में शनिवार को वोट डाले जाएंगे। हम रहिठा मोड़ के पास मखाना की खेती देखने पहुंचे। वहीं चाय दुकान पर जीवेश मुखिया से भेंट हुई। जीवेश ने बताया कि उनके गांव में सभी का टाइटल मुखिया है- हम केवट हैं। रामायाण वाले। मल्लाह, निषाद, सहनी .. इन सबसे अलग। मुकेश सहनी हमारे नेता नहीं हैं। मोदी जी नेता हैं। हम जात (जाति) पर कलंक नहीं है कि उस पर वोट करेंगे। हमारा वोट मोदी जी को है। वहीं मुलाकात हुई रामबालक यादव से। उन्होंने तपाक से कहा - तेजस्वी को सीएम बनाना है। कई इफ एंड बट नहीं। उसके खिसकने के बाद जीवेश ने चाय पिलाई और कहा - यही बिस्फी का हाल है। फैयाज अहमद आरजेडी से है। एक वोट उनका टस से मस नहीं हो रहा है। फिर हमारे पास विकल्प क्या है? पहले आगे चौक पर साइकल बनाते थे। यही यादव सब बिना पैसे दिए चला जाता और जादे (ज्यादा) टोकने पर पीट देता। हम उस दिन को वापस नहीं देखना चाहते हैं। नीतीश जो किए सो किए, उस पर बहस नहीं है। वोट मोदी के नाम पर जाएगा। Bihar Election News: चुनावी मुद्दा नहीं बन पाई इस क्षेत्र की समस्या, हर घर में है कैंसर पीड़ित मरीज! यहां ये जानना जरूरी है कि मधुबनी और दरभंगा में मुसलमान और यादव वोट की तादाद 35 फीसदी से ज्यादा है। बिस्फी में तो 30 परसेंट मुसलमान वोटर हैं। नीतीश और मोदी ने अंत में जाकर जो कोशिश की है उसके बाद जवाबी ध्रुवीकरण तेज हुआ है। लौकहा, हरलाखी और बाबूबरही से जेडीयू मैदान में है जहां इस ध्रुवीकरण का फायदा उसे मिल सकता है। बेनीपट्टी में कांग्रेस की भावना झा और बीजेपी की विनोद नारायण झा में कड़ी टक्कर है। खजौली में आरजेडी के सीताराम यादव ने बीजेपी के अरुण शंकर को 2015 में हराया था। इस बार यहां भी कड़ी टक्कर है। हरलाखी में ही नीतीश कुमार पर प्याज फेंके गए। यहां से पार्टी के सुधांशु शेखर सीपीआई के कद्दावर नेता रामनरेश पांडे के खिलाफ मैदान में हैं। एम-वाई के अलावा लेफ्ट केडर का वोट जुड़ने पर जेडीयू के लिए दिक्कत हो सकती है।सुपौल में चिराग पासवान कोई फैक्टर नहीं कोसी महासेतु के उस पार निर्मली की धरती विकास और पिछड़ेपन के बीच झूलती हुई दिखाई दी। इस विधानसभा सीट पर सीधा मुकाबला राजद और जदयू के बीच होने वाला है। राजद की ओर से यदुवंश कुमार यादव और जदयू की ओर से अनिरूद्ध प्रसाद यादव चुनावी मैदान में हैं। इस सीट के मौजूदा विधायक जदयू के अनिरूद्ध प्रसाद यादव हैं। वो हैट्रिक लगाने उतरे हैं। हालांकि आरजेडी के यदुवंश कुमार उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे हैं। लोजपा ने पेंच फंसाया है। यहां भी लोगों की नाराजगी नीतीश कुमार से दिखी। खास कर युवाओं में लेकिन बिजेंद्र प्रसाद यादव के कारण जेडीयू फेवरिट है। Bihar Chunav: सीमांचल में वोटों के ध्रुवीकरण का एनडीए को होगा फायदा? जब हम सुपौल पहुंचे तो चिराग पासवान की रैली चल रही थी। भीड़ अच्छी-खासी थी। जब हमने कुछ लोगों से पूछा कि इस भीड़ से फर्क पड़ेगा.. तो नागो पासवान ने कहा - हम तो इस बार बंगला छाप पर ही देंगे , बाकी बिजेंद्र बाबू मजबूत हैं। बीएन मंडल यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी के प्रोफेसर रहे ललितेश मिश्र कहते हैं... बिजेंद्र प्रसाद यादव सातवीं बार किस्मत आजमा रहे हैं। 1990 से लगातार चुने जा रहे हैं। जब लालू की सरकार थी तब भी सुपौल में 22 घंटे बिजली रहती थी। अब तो बहुत विकास हुआ है। लोग उनके कायल हैं। हर पार्टी का वोट मिलता है। उन्हें हराना बहुत ही मुश्किल है। उनका असर छातापुर, त्रिवेणीगंज और पिपरा विधानसभा क्षेत्रों में भी है। छातापुर से सुशांत सिंह राजपूत के चचेरे भाई नीरज बबलू चौथी बार किस्मत आजमा रहे हैं। पिपरा कोसी की त्रासदी और भारी गरीबी का जीता जागता उदाहरण है। पिपरा से एनच57 की तरफ जाने पर गरीबी की गहराई साफ मापी जा सकती है। यहां यदुवंश कुमार आरजेडी के टिकट पर जीते थे। इस बार विश्वमोहन कुमार आरजेडी के उम्मीदवार है जो पिछली बार बीजेपी के टिकट पर लड़े थे। उनका पलड़ा भारी लग रहा है।सहरसा में वीआईपी टक्कर सुपौल से सहरसा की दूरी चमचमाती सड़क पर महज 1.5 घंटे में पूरी की जा सकती है। रास्ते में हम बनगांव में रुके जहां की आबादी 36 हजार है। यहां राजपूतों और ब्राह्मणों की संख्या अच्छी - खासी है। मचान पर बैठे बुजुर्गों से जब चुनावी चर्चा शुरू हुी तो पता चला कि लवली आनंद आरजेडी का परचम लहरा सकती हैं। गुणा गणित लगाने में माहिर एक बुजुर्ग ने बताया एमवाई में राजपूत ऐड कर लीजिए। काम हो जाएगा। बीजेपी के आलोक रंजन मोदी की रैली से उत्साहित हैं। हालांकि बीजेपी के बागी किशोर कुमार मुन्ना और आरजेडी के बागी अरुण यादव से दोनों सहमे हुए हैं। अगर पार्टी लाइन पर वोटिंग हुई तो लवली निकल सकती हैं, लेकिन अगर कैंडिडेट के आधार पर वोट बंट गया तो कुछ भी कहना मुश्किल है। ये बहुमत की राय थी। सहरसा में चार सीटें हैं सिमरी बख्तियारपुर, सोनवर्षा और महिषि। Bihar Chunav : चिराग पर JDU का शायराना हमला, 'तुम तो ठहरे कलाकार, साथ क्या निभाओगे...' रिटायर्ड प्रोफेसर और पत्रकार ललितेश मिश्र कहते हैं - सोनबरसा में जेडीयू के रत्नेश सदा को आरजेडी की तारणी ऋषिदेव से कड़ी टक्कर मिल रही है। यही हाल सिमरी बख्तियारपुर का है जहां से सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी किस्मत आजमा रहे हैं। आप ये जान लीजिए कि बीजेपी या मोदी की लहर वीआईपी के लिए दिखाई दे, जरूरी नहीं है। रही बात मल्लाह वोट की तो वो बहुत कम है। इसलिए उनके लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई है। महिषी में बीडीओ की नौकरी छोड़ राजनीति में कूदे गौतम कृष्ण को टिकट थमाकर तेजस्वी ने कार्ड खेला है। जेडीयू ने गुंजेश्वर शाह को टिकट दिया है जो लोजपा के उम्मीदवार से जूझ रहे हैं।
Source: Navbharat Times November 06, 2020 11:33 UTC