भास्कर न्यूज, पिंपरी-चिंचवड़। नगर परिषद चुनावों के नतीजों का शोर थमने के बाद सत्ता के समीकरणों ने रफ्तार पकड़ ली है। लोनावला और तलेगांव दाभाड़े जैसे महत्वपूर्ण शहरों में 'उपनगराध्यक्ष' पद का ताज किसके सिर सजेगा, इसे लेकर राजनीतिक हलकों में भारी उत्सुकता है। दोनों ही शहरों में अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस का स्पष्ट वर्चस्व होने के कारण अंतिम निर्णय विधायक सुनील शेलके के हाथों में है। यही कारण है कि पद के दावेदारों ने अभी से विधायक की पसंद बनने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।- लोनावला में नए चेहरों की भरमारलोनावला नगर परिषद में 27 में से 16 सीटें जीतकर राष्ट्रवादी कांग्रेस ने एकतरफा सत्ता हासिल की है। खास बात यह है कि इन 16 नगरसेवकों में से 15 नए चेहरे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि पार्टी नेतृत्व किसी युवा उम्मीदवार को मौका देगा या फिर एकमात्र अनुभवी नगरसेवकों के कंधे पर उपनगराध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपेगी। विषय समिति सभापति पद के लिए भी होड़ मची हुई है। विधायक से मिलने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है।- तलेगांव में 'त्रिकोणीय' संघर्ष; तीन नाम सबसे आगेतलेगांव दाभाड़े का राजनीतिक चित्र काफी दिलचस्प है। यहां भले ही नगराध्यक्ष भाजपा का है, लेकिन पार्षदों की संख्या के मामले में राष्ट्रवादी कांग्रेस (18 सीटें) सबसे आगे है। ऐसे में उपनगराध्यक्ष और सभापति के पद राष्ट्रवादी के पास ही रहेंगे। फिलहाल इस पद के लिए तीन प्रमुख दावेदार चर्चा में हैं। संदीप शेलके के पास प्रशासनिक कार्यों का गहरा अनुभव है। विधायक सुनील शेलके के भाई सुदाम शेलके रिकॉर्ड मतों से विजयी हुए हैं, इसलिए उनकी दावेदारी भी काफी मजबूत मानी जा रही है। वहीं संगीता खलदे कडे संघर्ष के बाद चुनकर आई हैं, जिससे उनके प्रति पार्टी में सहानुभूति देखी जा रही है।- अनुभव या निष्ठा? विधायक की होगी परीक्षातलेगांव के 28 में से 21 पार्षद पहली बार सदन में कदम रख रहे हैं। अनुभव की इस कमी को देखते हुए पुराने और अनुभवी पार्षदों को सभापति पद पर मौका देकर प्रशासन को सुचारू रूप से चलाया जा सकता है। चर्चा यह भी है कि गणेश काकडे को भविष्य में ढाई साल के लिए नगराध्यक्ष पद का आश्वासन दिया गया है। ऐसे में अन्य निष्ठावान कार्यकर्ताओं को पदों पर बिठाना विधायक सुनील शेलके के लिए एक बडी चुनौती होगी। भले ही दोनों शहरों में महायुति है, लेकिन सत्ता की असली चाबी राष्ट्रवादी कांग्रेस के पास ही है। चर्चा है कि विधायक ने पहले ही तय कर लिया है कि किसे और कितने समय के लिए मौका देना है। अगले तीन-चार दिनों में चयन पर अंतिम मुहर लगने के साथ ही यह सस्पेंस खत्म होने की संभावना है।
Source: Dainik Bhaskar December 26, 2025 11:09 UTC