कोरोना काल में कोरोना संक्रमितों की जांच में जुटी डॉ. अर्पणा झा अपने घर से दूरी बनाकर कोरोना संक्रमितों को बचाने में लगी थी पर उन्हें क्या पता था कि संक्रमितों की सेवा करते करते वह खुद भी संक्रमित हो जाएंगी।आरा। कोरोना काल में कोरोना संक्रमितों की जांच में जुटी डॉ. झा ने बताया कि उन दिनों दिन में काम के बोझ के बीच परिवार के सदस्यों से बात करने का मौका तक नहीं मिलता था। रात में ही समय निकालकर बात करने की कोशिश करती थी। व्यस्ततम दिनचर्या के बीच कभी कभी तबीयत भी नासाज हो जाती थी, जिसकी जानकारी होने पर परिवार वालों की झिड़की भी सुननी पड़ती थी।जिला एपिडेमियोलॉजिस्ट डॉ. अर्पणा झा चार महीनों तक अपने बाल बच्चों से दूर रही। एक समय तो ऐसा भी देखने को मिला, जिसमें अधिकांश पुलिसकर्मी और मेडिकल स्टाफ तक को क्वारंटाइन करने की नौबत आ गई थी। फिर भी मैं उस समय बाल-बाल बच गई। कोरोना को लेकर जनवरी-फरवरी में हुई ट्रेनिग के बाद दो मार्च से भोजपुर में जो युद्ध स्तर पर काम शुरू हुआ, उसके बाद से अपने बाल बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों से चार पांच महीने तक नहीं मिल सकी। जबकि डॉ. अर्पणा के परिवार में बुजुर्ग बीमार पिता, मेडिकल की पढ़ाई कर रही बेटी और चिकित्सक पति मौजूद हैं। कोरोना के संक्रमण के खतरे को देखते हुए उनसे फोन पर हीं बातचीत हो पाती है।शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप
Source: Dainik Jagran March 07, 2021 17:03 UTC