1979 में आयातुल्ला खुमैनी के नेतृत्व में ईरान में इस्लामी क्रांति हुई। रजा शाह पहलवी कीहुकूमत को उखाड़ फेंका गया। इसके बाद वहां इस्लामी गणराज्य की स्थापना हुई जिसका आधार इस्लामी धर्म के सिद्धांत हैं। ईरानी लोकतंत्र को इस्लामी गणराज्य ईरान के नाम से जाना गया। नए इस्लामी गणराज्य को एक ऐसी सेना की जरूरत महसूस हुई जो क्रांति और नई शासन व्यवस्था की हिफाजत कर सके। इसी जरूरत ने सिपाह-ए-पासदारान-ए-इंकलाब-ए-इस्लामी यानी इस्लामिक रेवल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के वुजूद को पैदा किया। शुरू में क्रांति और नई व्यवस्था की हिफाजत के लिए गठित आईआरजीसी की ताकत बढ़ती गई। आज के समय में ईरान में आईआरजीसी का प्रभाव कई क्षेत्रों में हैं। मौजूदा समय में आईआरजीसी ईरान की नियमित सेना के साथ मिलकर आंतरिक और बाहरी खतरों से सरकार की हिफाजत करता है।ईरान के कानून के मुताबिक, 'यह एक ऐसी संस्था है जिसकी कमान ईरान के सर्वोच्च नेता के पास है। इसका मकसद ईरान की इस्लामी क्रांति और नई व्यवस्था की रक्षा करना है। साथ में अल्लाह के शासन की स्वायत्ता को फैलाने के लिए आईआरजीसी प्रयासरत रहेगा।' आईआरजीसी सिर्फ ईरान के सर्वोच्च नेता जो वहां के सर्वोच्च धार्मिक नेता होते हैं को जवाबदेह है।फोटो: साभार GettyImages
Source: Navbharat Times April 09, 2019 07:30 UTC